‘उड़ गए’, ये 21-साल के डीजे, गायक और हिंदुस्तानी म्यूज़िक प्रोड्यूसर पुणे के रित्विज़ का हिट गाना है, जिसके उदास बोलों ने देखते ही देखते देश के तमाम श्रोताओं को खुद से जोड़ लिया. ज़्यादातर लोगों को नहीं पता कि इस गाने से उदयन सागर उर्फ न्यूक्लिया इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने निजी तौर पर इसके रिलीज़ से पहले इसे मास्टर करने की बात रखी. ‘उड़ गए’ की पूरी कहानी नीचे देखें.
5 मिनट
Story of a song: Ritviz's Udd Gaye
Ritviz - Udd Gaye: This is the story of his song
हमने रित्विज़ श्रीवास्तव से बात की और जाना कि ये गाना और इसका वीडियो कैसे सामने आया.
इस गाने का विचार कैसे आया?
इसकी शुरुआत एक राग से हुई, जिसे इसके लिए तैयार किया गया था, पर ये पूरे गाने पर काम नहीं कर सका. इसे ‘उड़ गए’ गाने के मध्य में सुना जा सकता है. मैंने इसका डेमो अपने मैनेजर राहुल सिन्हा को भेजा, उन्होंने इसे बकार्डी हाउस पार्टी के लोगों को भेजा, वे इसे सुनकर जोश में आ गए. वे इसका वीडियो कैटनिप (Catnip) की रीमा सेनगुप्ता के साथ तैयार करने की योजना बनाने लगे. अब तक गाने का शुरुआती आधा हिस्सा ही तैयार हुआ था लेकिन वे सब वीडियो का थीम बनाने में मशगूल हो गए.
इस गाने का पूरा रूप साथ कैसे आया?
इसकी शुरुआत एक जटिल रूप के तौर पर हुई. शुरुआत में मैंने इसे अपने एक दोस्त के पास भेजा, उसने कहा कि इससे चार अलग गाने बन सकते हैं. लिहाज़ा हमने इसे आसान बनाने का फैसला किया. इसका राग काफी डार्क और इंटेंस था, लेकिन हमने सोचा कि इसे कुछ और बनाया जा सकता है. लिहाज़ा हमने पुराने गाने की इंट्रो और बेस लाइन को लिया, और बाद में इसे मुख्य राग में डालकर जोड़ दिया.
आपका म्यूज़िक राइटिंग सेट-अप कैसा है?
मैं अकेले काम करना पसंद करता हूं लिहाज़ा मेरे बेडरूम में ये बेहद कम चीजों के साथ हो जाता है. मैं अकेले और अपने ज़ोन में होने पर ही काम करता हूं.
क्या गाना बनाने के हर चरण में आप लोगों को इससे जोड़ते रहे?
नहीं, मैं राहुल और अपनी मां के अलावा किसी और से साझा करना पसंद नहीं करता. जिस दोस्त को मैंने गाना भेजा और जिसने इसे जटिल बताया, मैंने वह काम दरअसल बिना सोचे हुए किया था. वह एक रैपर है जिसका नाम एमसी इला स्ट्रेट है, हम उस वक्त एक बीट पर काम करने की कोशिश कर रहे थे. ‘उड़ गए’ को असलियत में हिप-हॉप ट्रैक बनाने की बात थी. लिहाज़ा ये सब हुआ.
वीडियो के निर्माण में आप कितना शामिल हुए?
इसकी अवधारणा कैटनिप ने तैयार की, लेकिन इसके रचनात्मक पहलुओं में हम भी शामिल थे.
क्या ट्रैक लिखने के दौरान आप विजुअल के बारे में सोचते हैं?
असल में नहीं. संभवत: 300-400 ट्रैक्स में किसी एक के लिए मेरे मन में ये विचार आया हो. विजुअल्स को दिमाग में रखकर गाने नहीं लिखे जाते.
इस गाने की प्रेरणा कैसे मिली?
हाहा, यकीनन, निजी अनुभवों से. मुझे लगता है कि इन्हीं कारणों से ये लोगों से जुड़ सका, सिर्फ राग नहीं बल्कि प्रस्तुतीकरण भी इसका कारण है. इस एक कहानी की प्रेरणा से मैं 10 गाने लिख सकता हूं. किसी निराकार थीम को बनाना मेरा लक्ष्य नहीं था. मैं राहुल के साथ आधे दिन तक डेमोज़ को टटोलता रहा तब जाकर ‘उड़ गए’ का चुनाव हुआ.
ईपी में मौजूदा एक और ट्रैक है, ‘बरसो’, जो पूर्वानुमान के बारे में है. एक और है ‘जीत’, जो जीतने के बारे में है. उदयन को ‘उड़ गए’ में जो चीज सबसे अच्छी लगी, वह है खुशियों वाली टोन के साथ इसके थोड़े उदास बोल.
वीडियो के आने पर कैसा लगा, और इसके बाद गाना बनकर कैसा तैयार हुआ?
मैं लगातार कमेंट्स पढ़ रहा था, कई नए लोगों से परिचय हुआ. पहले दिन हमें यूट्यूब पर घृणा से भरे कमेंट्स मिले. एआईबी ने पहली बार अपने चैनल पर कोई गाना लगाया था. वहां कमेंट में लोग लिख रहे थे, “ये क्या बकवास है?”
ठीक उसी वक्त हमें निजी तौर पर पॉजिटिव कमेंट्स भी मिल रहे थे. हमारे पास एक प्राइवेट लिंक है जिस पर 25,000-30,000 व्यूज़ हैं, हमें दोस्त और परिवार से अच्छे मैसेजेज़ मिल रहे थे. पहला दिन धीमा था, लेकिन दूसरे दिन से ये प्रचंड हो गया. लोग अपने वीडियोज़ बनाने लगे, हमने और एआईबी ने उन वीडियोज़ को शेयर करना शुरू कर दिया. रिलीज़ के 10 दिनों के बाद हमने इसे पुणे में एनएच7 वीकेंडर पर बजाया, जिसमें 3,000 लोग शामिल हुए, ये शानदार था.