रेड बुल कैंपस क्रिकेट के नेशनल फाइनल में एक मैच के दौरान गेंदबाज़ी करता एक तेज गेंदबाज़.
© वकास मंसूरी

6 एक्सरसाइज जो हर तेज गेंदबाज़ को अ‍पने फिटनेस रूटीन में शामिल करनी चाहिए

तेज गेंदबाज़ राम जांगीर और कनिष्ठ सेठ बताते हैं कि तेज गेंदबाज़ों के लिए फिटनेस क्यों अहम हैं और पेसर्स के लिए नियमित छह अभ्यासों की सूची भी बताते हैं.
Cricxtasy (मूल अंग्रेजी से अनुवादित लेख) द्वारा लिखित
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क्रिकेट जगत में तेज गेंदबाज़ी को श्रेष्ठ कला के रूप में जाना जाता है. यह खेल के सबसे रोमांचक पहलुओं में से एक है, लेकिन क्रिकेटर अगर पर्याप्त देखभाल नहीं करें तो उनके लिए बड़ी चुनौती भी है. उचित देखभाल न होने पर तेज गेंदबाज़ी के दौरान आयी गहरी चोट उनके करियर को छोटा कर देती हैं. इसलिए देखभाल ज़रूरी है. यह देखभाल फिटनेस के रूप में आती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आप एक तेज गेंदबाज़ के रूप में मांसपेशियों के खिंचाव से संबंधित चोटों को सहन न करें.
जयपुर के राम जांगीर और कोलकाता के कनिष्क सेठ - दोनों स्थानीय टीमों के तेज गेंदबाज - कुछ पहलुओं के बारे में बताते हैं कि तेज गेंदबाज़ों के लिए फिटनेस बेहद महत्वपूर्ण क्यों है.
राम ने बताया “ग्राउंड ट्रेनिंग सबसे महत्वपूर्ण है. किसी दिन आपको एक दिन में दस ओवर फेंकने होते हैं. तो किसी दिन, आपको तीस ओवर (एक टेस्ट मैच के दौरान) फेंकने होंगे. इसलिए फुर्ती भी ज़रूरी है. फ़ुटबॉल में, आपको 90 मिनट मिलते हैं जहां खिलाड़ियों को बहुत तेज होना पड़ता है और केवल हाफ-टाइम में ब्रेक मिलता है. तेज गेंदबाज़ी इससे अलग है. हमें केवल रन-अप के दौरान स्प्रिंट करना पड़ता है. गेंद डालने के बाद वापस लौटते समय हमारा रेस्ट पीरियड होता है. उस आधार पर, रन-अप के लिए स्प्रिंट करने में लगने वाले समय और वापस लौटने में लगने वाले समय की निगरानी करते हुए, मैं अपनी ग्राउंड ट्रेनिंग करता हूं”.
राम और कनिष्क दोनों का कहना है कि तेज गेंदबाज़ों के लिए कोर, पैर और कंधों में मजबूती और सहनशक्ति बेहद जरूरी है. कनिष्क कहते हैं कि आप जिस खेल को खेल रहे हैं उसके फॉर्मेट के अनुसार आप अपनी फिटनेस दिनचर्या को तैयार कर सकते हैं.
उन्होंने बताया कि, 'अगर आप टी20 खेल रहे हैं तो आपको पावर ट्रेनिंग के लिए पूरी ताकत लगानी होगी. अगर आपके बेसिक्स मजबूत हैं, तभी आप पावर ट्रेनिंग कर सकते हैं. हालांकि अगर आप वनडे खेल रहे हैं, तो आपको बुनियादी ताकत की जरूरत है. कनिष्क कहते हैं, “आपको बहुत अधिक भार उठाना पड़ता है, बहुत दौड़ना पड़ता है और ये हर गेंदबाज के लिए अलग-अलग होता है.”
हालांकि राम और कनिष्क दोनों इस बात से सहमत हैं कि फिटनेस एक तेज गेंदबाज़ के करियर ज़रूरी पहलू है. यदि आप एक तेज गेंदबाज़ हैं तो अभ्यास के लिए उनके सुझाव यहां दिए गए हैं.
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स्ट्रेचिंग और वार्म-अप्स (Stretching and warm-ups)

कनिष्क का मानना है कि उच्च स्तर की फिटनेस बनाए रखने के लिए स्ट्रेचिंग और वार्म-अप सबसे महत्वपूर्ण आधार है. कनिष्क का कहना है “ आपको गतिशील होना होगा, लचीला होना होगा. यदि आपका शरीर चुस्त नहीं है तो आप प्रोफेशनल स्तर पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे. इसके बाद, आपको अपने शरीर में बुनियादी ताकत जोड़ने की जरूरत है. अगर बेसिक्स मजबूत हैं, तो आप प्लायोमेट्रिक्स और पावर ट्रेनिंग के लिए खुद को आगे बढ़ा सकते हैं. ”
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प्लैंक (Plank)

तेज गेंदबाज़ों के लिए प्लैंक काफी असरदार एक्सरसाइज है. उन्हें इसके लिए किसी विशेष इक्विपमेंट की ज़रूरत नहीं है और इसे लगभग कहीं भी किया जा सकता है. प्लैंक, कोर और पीठ के निचले हिस्से में ताकत बढ़ाने में मदद करते हैं; चूंकि तेज गेंदबाजों में पीठ के निचले हिस्से में चोट लगना बेहद आम बात है, इसलिए इस चोट से बचने के लिए प्लैंक ज़रूरी है. प्लैंक होल्ड में बदलाव के लिए, आप कूल्हों पर रोटेशनल मूवमेंट्स को जोड़ सकते हैं जो आपके कोर और पेट की मांसपेशियों के लिए आगे काम करेगा.
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आइसोट्रोमिक होल्ड्स (Isometric holds)

ये एक ऐसी एक्सरसाइज है जिसमें आपकी मांसपेशियां, शरीर या जोड़ों की मूवमेंट के बिना संलग्न रहती हैं. आप अपने शरीर को किसी एक ही विशेष स्थिति में बनाए रख कर अपनी मांसपेशियों में तनाव पैदा कर देते हैं. तेज गेंदबाजी के लिए आइसोमेट्रिक एक्सरसाइज बेहद महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये एक्सरसाइज स्थिरता और ऊर्जा को ट्रांस्फर करने में उनकी मदद करते हैं.
राम कहते हैं, “तेज गेंदबाज़ी में ऊर्जा का ट्रांसफर होता है. उदाहरण के लिए, ऊर्जा का एक पैर से दूसरे पैर में और गैर-गेंदबाज़ी वाले हाथ से गेंदबाज़ी वाले हाथ में ट्रांसफर होना.”
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स्क्वाट्स (Squats)

तेज गेंदबाज़ो को मजबूत पैरों की ज़रूरत होती है जो बहुत अधिक तनाव को संभाल सकें. निचले अंगों की मजबूती और कंडीशनिंग के लिए स्क्वाट्स बेहतरीन एक्सरसाइज हैं.
राम तेज गेंदबाज़ी के लिए एक्सरसाइज करते समय फुल स्क्वाट्स न करने की राय देते हैं. वे यह सुझाव देते हैं की आपके बॉलिंग एक्शन के बैक फुट कॉन्टेक्ट के दौरान जो कोण बनता है, स्कवाट्स भी उसी तरह के कोण से करने की कोशिश की जाए.
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सिंगल लेग रोमेनियन डेडलिफ्ट (Single-leg Romanian deadlift)

कोच उन तेज गेंदबाज़ों की पहचान करने के लिए सिंगल लेग बैलेंस टेस्ट का उपयोग करते हैं जिन्हें पीठ या निचले अंगों में चोट लगने का काफी खतरा होता है. इन खिलाड़ियों के लिए, वे आम तौर पर दिनचर्या के हिस्से के रूप में सिंगल लेग रोमेनियन डेडलिफ्ट का सुझाव देंगे. ये एक्सरसाइज अंगों की मांसपेशियों पर केंद्रित है, जिससे हैमस्ट्रिंग और ग्लूट्स को मजबूती मिलती है. ये पीठ के उन निचले हिस्से पर तनाव और पैर की चोटों से बचने के लिए एक और बेहतरीन एक्सरसाइज है जिनसे तेज गेंदबाजों अक्सर परेशान रहते हैं.
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चेस्ट प्रेस (Chest press)

तेज गेंदबाजों को भी कंधों और छाती के आसपास की मांसपेशियों में काफी सक्रियता की ज़रूरत होती है. जब कंधों की बात आती है तो ताकत और लचीलेपन के स्तर को संतुलित करने की ज़रूरत होती है. हालांकि, कंधे पर भारी वजन उठाने से एक्सरसाइज के दौरान चोट लगने का खतरा बढ़ सकता है. ओवरहेड शोल्डर एक्सरसाइज के बजाय ताकत और शक्ति बढ़ाने के लिए चेस्ट प्रेस करने की सलाह दी जाती है. चेस्ट प्रेस को विभिन्न प्रकार के उपकरणों के साथ किया जा सकता है जिसमें डम्बल, बारबेल या हल्के वजन वाले बेंच शामिल हैं.